भाग ८
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हम सभी ने वहाँ बाबा के दर्शन किये और वहाँ हमने उस आद्भुत पीपल के दर्शन किए और छेद वाले पत्ते भी देखे। इन पत्तौ को देखकर आश्चर्य भी हुआ।
जो लोग इस कथा को कपोल कल्पित मांनते है उनके गाल पर करारा तमाचा है।
इसके बाद हम ने आगे की यात्रा आरम्भ की। कब हम सभी अपनी यात्रा के आखिरी पडा़व पर थे। और हम वहा से कुछ ही दूरी पर स्थित काजला धाम के बालाजी के मन्दिर पहुँचे । उस समय वहाँ शाम की आरती चल रही थी। हम सभी ने आरती में भाग लिया।
इस मन्दिर में चमडे़ की बैल्ट व पर्स लेकर जाना सख्त मना है। हमने वहाँ के पुजारी जी से बात की तब उन्होने हमे इस मन्दिर के निर्माण की जो कहानी बताई वह बहुत ही दिलचस्प थी।
यहाँ पर साल के बारह महीने लंगर चलता रहता है। इस मन्दिर में ज्योति बारह महीने 365 दिन जलती रहती है यह ज्योति मेंहदीपुर बालाजी से लाई गयी थी।
मन्दिर में नीचे श्री बालाजी का मन्दिर है और ऊपर की मंजिल फर श्री राम दरबार दुर्गा परिवार राधा कृष्ण मंदिर शिवालय आंजनी माता का मन्दिर है यहाँ पर परेशान लोग अर्जी लगाने आते है यहिँ पर दर्शन के लिए पूरे देश से यात्री इते है।यहाँ फर पंचमुखी हनुमान भी विराजमान है।
इस मन्दिर का निर्माण 1984 में शचरू हुआ और 31 जनवरी 1990 को यहाँ प्राण प्रतिष्ठा हुई यहाँ बर्ष, की हर पूर्तमासी को मेला लगता है ।
इसतरह यहाँ दर्शन करने के बाद हम सभी फतेहाबाद बापिस पहुँच गये।
इस तरह यह यात्रा समाप्त हुई।
आगे की वर्णन अगले भाग में
यादों के झरोखे से२०२२
नरेश शर्मा " पचौरी "
Radhika
09-Mar-2023 12:58 PM
Nice
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shweta soni
03-Mar-2023 10:20 PM
👌👌👌
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अदिति झा
03-Mar-2023 02:36 PM
Nice 👍🏼
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